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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% तक का बेसलाइन टैरिफ लगाने के तुरंत बाद अब सेकेंडरी सैंक्शन की धमकी भी दे दी है। उनका बयान उस समय आया जब भारत को लेकर वॉशिंगटन में लगातार यह नैरेटिव गढ़ा जा रहा है कि नई दिल्ली रूस से तेल खरीदकर अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध को फंड कर रही है। ट्रंप का कहना है कि यह सिर्फ शुरुआत है और आने वाले दिनों में भारत समेत कई अन्य देशों पर और कठोर कदम उठाए जा सकते हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बयान ऐसे समय आया, जब उन्होंने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ की घोषणा की है, जो 27 अगस्त से लागू होगा. इससे पहले 30 जुलाई को 25% टैरिफ का ऐलान किया था, जो 7 अगस्त से लागू हो गया है. यह स्पष्ट संकेत है कि अमेरिका अब केवल ट्रेड वॉर नहीं, बल्कि एक किस्म की जियोपॉलिटिकल प्रेशर पॉलिसी अपना रहा है, जिसमें सेकेंडरी सैंक्शन एक अहम हथियार हो सकते हैं.

मामले पर विदेश मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि कच्चे तेल का आयात एक बाजार आधारित फैसला है, जिसका उद्देश्य 140 करोड़ नागरिकों की ऊर्जा जरूरतें पूरी करना है. भारत ने इस कदम को अनुचित, अन्यायपूर्ण और बेबुनियाद करार देते हुए कहा कि दुनिया के कई अन्य देश भी अपने-अपने राष्ट्रीय हितों को देखते हुए रूस से तेल खरीद रहे हैं तो फिर केवल भारत को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है? यह बयान दर्शाता है कि भारत न केवल अपने निर्णयों पर कायम है, बल्कि दबाव में आने को तैयार नहीं.

25% से 50% टैरिफ तक का सफर

अमेरिका ने 30 जुलाई को भारत पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया था, जो 7 अगस्त से लागू हो चुका है। इसके बाद 27 अगस्त से एक और 25% अतिरिक्त टैरिफ लागू करने की घोषणा हुई, जिससे कुल टैरिफ 50% तक पहुंच गया। यह एक प्रकार का दो-स्तरीय आर्थिक दबाव है, जिसमें पहले टैरिफ के जरिए व्यापार को महंगा किया गया और अब सेकेंडरी सैंक्शन के जरिए कंपनियों, बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को भारत से जुड़े सौदों से डराने की रणनीति बनाई जा रही है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत पर 50% टैरिफ और सेकेंडरी सैंक्शन का संकेत देना केवआर्थिक दबाव नहीं बल्कि एक भूराजनीतिक रणनीति का हिस्सा है। भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत और अमेरिका के रिश्ते इस नए दबाव की कसौटी पर खरे उतरते हैं या फिर वैश्विक ऊर्जा राजनीति में एक नया मोड़ देखने को मिलेगा।

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