आज दोपहर करीब साढ़े चार बजे से लेकर शाम सात बजे तक जो हुआ, उसे देखकर लगा कि जैसे किसी ने पूरे देश की ऑक्सीजन एक झटके में बंद कर दी हो। फोन हाथ में है, लेकिन उसकी आत्मा गायब। X नहीं खुल रहा, ChatGPT जवाब नहीं दे रहा, Canva पर प्रेजेंटेशन अटका हुआ है, Spotify चुप है, Claude मौन है, और DownDetector खुद डाउन हो गया—जैसे कोई कह रहा हो कि अब शिकायत भी मत करो। Cloudflare नाम की एक कंपनी में खराबी आई और पूरी डिजिटल दुनिया ठप। लेकिन असली ठप तो हमारा दिमाग हो गया।
सोचिए, सिर्फ़ ढाई-तीन घंटे।
महज ढाई-तीन घंटे में लोग ऐसे बेचैन हो गए जैसे कोई बहुत बड़ा हादसा हो गया हो।
ऑफिस में लोग एक-दूसरे को देखकर पूछ रहे थे—“तुम्हारा भी नहीं चल रहा?”
जैसे कोई महामारी फैल गई हो।
कोई बार-बार रिफ्रेश कर रहा था, कोई VPN ऑन-ऑफ कर रहा था, कोई फोन रीस्टार्ट कर रहा था—जैसे फोन ने कोई गुनाह किया हो।
और जब कुछ नहीं बचा तो सबने वही पुराना वाला तरीका अपनाया—स्क्रीनशॉट लेकर वही X पर डालने की कोशिश की जो खुद X पर नहीं जा रहा था।
हालात देखिए, हम अपनी बेचैनी को भी उसी प्लेटफॉर्म पर शेयर करना चाहते थे जो हमें बेचैन कर रहा था। हम कितने लाचार हो गए हैं भाई।
सुबह उठते ही सबसे पहले फोन देखते हैं—किसने क्या लिखा, किसने लाइक किया, किसने अनफॉलो किया।
दिन भर में सौ बार नोटिफिकेशन चेक करते हैं कि कहीं दुनिया हमसे आगे तो नहीं निकल गई।
रात को सोते वक्त भी आखिरी रील देखते हैं कि कहीं कुछ हमसे छूट न जाए कहीं कोई हमसे आगे न निकल जाए।
और जब ये सब एक झटके में छिन जाता है तो लगता है जैसे हमारा कोई अंग कट गया हो। हम अपाहिज की तरह व्यवहार करने लगते हैं।
हम बोलना भूल गए हैं, मिलना भूल गए हैं, धैर्य रखना भूल गए हैं।
हमने अपने सारे रिश्ते, सारी बातचीत, सारी खुशी, सारा गुस्सा—सब कुछ इन ऐप्स के हवाले कर दिया है।
और आज जब ये ऐप्स चले गए तो हम भी खाली-खाली से हो गए।
कोई किताब उठाने को तैयार नहीं।
कोई बालकनी में खड़े होकर बाहर देखने को तैयार नहीं।
कोई अपने बच्चे से दो मिनट बात करने को तैयार नहीं।
सब बस एक ही मंत्र जप रहे थे—“कब आएगा? कब आएगा?”
जैसे कोई प्रेमी प्रतिक्षा कर रहा हो।
लेकिन ये प्रेम नहीं, ये लत है।
खतरनाक लत।
जिस दिन ये कंपनियां ठान लें, ये सर्वर हमेशा के लिए बंद कर दें, तो हम में से आधे लोग तो डिप्रेशन में चले जाएंगे।
बाकी आधे लोग सड़क पर उतर आएंगे—लेकिन वहाँ भी फोन लेकर कि कहीं नेटवर्क तो नहीं आ गया। आज Cloudflare गड़बड़ाया, कल कोई और कंपनी गड़बड़ाएगी।
पर हमारी गड़बड़ी कोई नहीं ठीक कर सकता।
हमने अपनी जिंदगी को कुछ सर्वर रूम्स के रहम पर छोड़ दिया है जो अमेरिका के किसी ठंडे कमरे में खड़े हैं।
और वहाँ अगर कोई एसी खराब हो जाए, कोई केबल कट जाए, कोई इंजीनियर लंच ब्रेक पर चला जाए—तो हमारी शाम खराब हो जाती है।
हमारी पूरी जिंदगी।सोचिए, कभी हम बिना फोन के भी हंस लेते थे।
बिना रील के भी एंटरटेन हो लेते थे।
बिना नोटिफिकेशन के भी जी लेते थे।
आज तीन घंटे बिना इंटरनेट के काटे नहीं गए।
ये हमारी हार है।
हम तकनीक को कंट्रोल नहीं कर रहे हैं अब तकनीक पूरी तरह से हमें कंट्रोल कर रही है।
