अमेरिका में प्रवेश या वीजा हासिल करने का सपना अब डायबिटीज, मोटापा और कैंसर जैसी बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए और मुश्किल हो गया है। अमेरिकी विदेश विभाग (U.S. State Department) ने शुक्रवार को दुनिया भर में स्थित अमेरिकी दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों को एक नया निर्देश जारी किया है, जिसके तहत गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों के वीजा आवेदन को ‘पब्लिक चार्ज’ (Public Charge) नीति के आधार पर अस्वीकार किया जा सकता है।
2019 के नियम से 7 में से 1 अप्रवासी परिवारों ने मेडिकेड, SNAP (खाद्य सहायता) या हाउसिंग लाभ छोड़ दिए, भले ही वे योग्य थे। इस नियम के बाद लोग बीमारियों को छिपाने के लिए इलाज टालेंगे, जिससे बीमारियां बिगड़ेंगी।अमेरिकी दूतावासों को भेजे गए निर्देश में कहा गया है कि अब वीजा अधिकारी किसी भी आवेदक के स्वास्थ्य, उम्र और आर्थिक स्थिति (financial status) की गहन जांच करेंगे।
संभावित परिणाम: वीजा अस्वीकृति और स्वास्थ्य जोखिम
विशेषज्ञों का मानना है कि इस नीति के परिणाम दो स्तरों पर सामने आएंगे —
- वीजा और ग्रीन कार्ड अस्वीकृति दर में वृद्धि:
स्वास्थ्य कारणों के चलते लाखों आवेदन रिजेक्ट हो सकते हैं। इससे न केवल परिवारिक पुनर्मिलन (family reunification) प्रभावित होगा, बल्कि वैश्विक टैलेंट मूवमेंट भी धीमा होगा। - स्वास्थ्य सेवाओं का परहेज:
इमिग्रेशन परिवार इलाज करवाने से बचेंगे ताकि उनके रिकॉर्ड में “महंगे मरीज” का टैग न लगे। इससे पुरानी बीमारियों के बढ़ने और सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का खतरा बढ़ेगा।
बता दें कि, अमेरिकी सरकार का कहना है कि यह नीति “सार्वजनिक बोझ कम करने और संसाधनों की सुरक्षा” के लिए जरूरी है।
लेकिन इमिग्रेशन एक्सपर्ट्स और मानवाधिकार संगठनों का तर्क है कि यह कदम “छिपे हुए भेदभाव” की ओर इशारा करता है — जिसमें बीमारी को अपराध की तरह देखा जा रहा है।एक बात तय है — अमेरिका जाने का सपना देखने वालों के लिए अब सिर्फ काबिलियत और योग्यता ही नहीं, बल्कि शरीर का स्वास्थ्य और जेब की ताकत भी वीजा तय करेगी।
