समाचार मिर्ची

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पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल गर्म है और सियासी बयानबाज़ी अपने चरम पर है। ऐसे में एक सवाल जो लगातार राजनीतिक गलियारों में गूंज रहा है — आखिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैलियों में क्यों नहीं दिखाई दे रहे हैं? विपक्ष इस मुद्दे को लेकर लगातार एनडीए पर हमला बोल रहा है, वहीं बीजेपी ने अब इस पर साफ जवाब दिया है।

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और बिहार समन्वयक धर्मेंद्र प्रधान ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि नीतीश कुमार का पीएम मोदी की हर रैली में मौजूद न होना किसी नाराज़गी का संकेत नहीं, बल्कि यह एनडीए की रणनीति का

धर्मेंद्र प्रधान का बयान – “यह हमारी योजना का हिस्सा है”

धर्मेंद्र प्रधान ने मीडिया से बातचीत में कहा, “यह पूरी तरह एनडीए की योजना का हिस्सा है कि गठबंधन के सभी प्रमुख नेता अपने-अपने इलाकों में स्वतंत्र रूप से चुनाव प्रचार करेंगे। इसका उद्देश्य अधिकतम पहुंच और प्रभाव बनाना है।”

प्रधान ने यह भी याद दिलाया कि चुनावी अभियान की शुरुआत 24 अक्टूबर को समस्तीपुर के जननायक कर्पूरी ठाकुर के गांव से हुई थी, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान सहित सभी प्रमुख एनडीए नेता एक ही मंच पर मौजूद थे।

हालांकि विपक्ष का दावा है कि एनडीए के भीतर सब कुछ सामान्य नहीं है। कांग्रेस और राजद नेताओं ने सवाल उठाया है कि नीतीश कुमार न तो पटना में हुए प्रधानमंत्री के रोड शो में शामिल हुए और न ही बिहार के अन्य जिलों में आयोजित रैलियों में।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हाल ही में कहा था, “यह साफ है कि नीतीश दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। बीजेपी ने उन्हें किनारे करने की साजिश रच रखी है। एनडीए के घोषणापत्र जारी करने के कार्यक्रम में भी नीतीश को बोलने नहीं दिया गया।” इस बयान के बाद महागठबंधन के कई नेताओं ने इसे बीजेपी की “डबल गेम पॉलिटिक्स” कहा और जनता के बीच इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाने की बात कही।

एनडीए की रणनीति – “हर नेता अलग-अलग प्रचार करे”

बीजेपी सूत्रों का कहना है कि इस बार चुनाव प्रचार का मॉडल 2019 के लोकसभा चुनाव से थोड़ा अलग है। उस समय पीएम मोदी की हर रैली में स्थानीय नेतृत्व को मंच साझा करने का मौका दिया जाता था। लेकिन 2025 विधानसभा चुनाव में एनडीए ने “डिसेंट्रलाइज्ड कैंपेनिंग” यानी स्थानीय नेतृत्व पर फोकस करने की रणनीति अपनाई है।इसका उद्देश्य है कि राज्य के सभी क्षेत्रों में गठबंधन के नेता अपने-अपने आधार क्षेत्रों में ज्यादा समय दे सकें और स्थानीय मुद्दों पर फोकस कर सकें।

बता दें कि, नीतीश कुमार की अनुपस्थिति को विपक्ष भले ही मतभेद का संकेत मान रहा हो, लेकिन बीजेपी इसे चुनावी रणनीति बता रही है। धर्मेंद्र प्रधान के बयान से साफ है कि एनडीए का लक्ष्य है “हर नेता हर क्षेत्र में अधिकतम प्रभाव”। अब यह रणनीति कितनी कारगर साबित होती है, इसका फैसला बिहार की जनता 2025 के नतीजों में देगी।

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